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"पैग़ाम" (रुबाइ)





 "चलो  एक बार  फिर  से
  हम तेरा एहसान लेते  हैं !
  तेरी ख़ातिर ही अपने सर
  पे  हर  इल्ज़ाम  लेते  हैं !!
  हमारी  हर  नज़र  तुझसे
  नयी   सौगंध  खाती   है ;
  तुम्हारी  हर नज़र से हम
  नया    पैग़ाम   लेते    हैं !!"
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